'कृपा' शब्द की आजकल एक परिभाषा सुनने में आ रही है- "कर और पा, यानि कृपा"।
परंतु पुष्टिमार्ग के दृष्टिकोण से देखें, तो अपने यहां प्रभु की कृपा अहैतुकी है। कृपा करना प्रभु का स्वभाव है।
"कर-पा" का अर्थ हो जाएगा - 'किया तो पाया'....या, 'जितना किया उतना पाया'....या, 'करोगे तो पाओगे' इत्यादि। परंतु अपने पुष्टिमार्ग की विलक्षणता ही यह है कि यहां प्रभु इच्छा बलवती है। भक्त का किया, न किया, लाख किया...प्रभु कुछ नहीं देखते, सहज कृपा करते हैं।
'कर और पा' वाली परिभाषा से तो भक्त को साधन का बल हो जाएगा जबकि अपना मार्ग नि:साधनता का है।
पुष्टिमार्ग में तो 'जो भी पा, वो प्रभु कृपा'
एक प्रश्न थाय : प्रभुनी कृपा आपणा उपर क्यारे थाय ? केवी रीते थाय ?
श्रीमहाप्रभुजीनो जवाब छे:
कर्मनो कायदो छे. कृपानो कोइ कायदो नथी. वेद चोख्खा शब्दोमां कहे छे- तमे गमे तेटलां साधनो भले करो, पण तेथी भगवाननी कृपा तमने मलशे ज एवुं कोइ छाती ठोकीने कही शके तेम नथी . कृपाने कार्य-कारणनो कोइ संबंध नथी. भगवान सर्वतंत्र स्वतंत्र छे. चाहे तो कृपा करे, चाहे तो न पण करे. आ बाबते जवाब आपवा के खुलासो करवा भगवान बंधायेला नथी. आथी पुष्टिमार्गमां प्रभुनी कृपा ज नियामक छे. ते क्यारे, केवी रीते, कोना पर थशे ते कही शकाय नहि.
तो बीजो प्रश्न थाय: प्रभुनी कृपाथी बधुं सुलभ थतुं होय , त्यारे पुष्टिमार्गमां कृपा मलवानी राह जोतां आपणे हाथ जोडीने बेसी रहेवानुं ?
श्रीमहाप्रभुजीनो सुंदर जवाब छे:
1) आपणने पुष्टिमार्गमां प्रवेश मल्यो छे, ए प्रभुनी आपणा परनी कृपा ज छे. अबजो जीवो प्रवाही छे, लाखो जीवो मर्यादा छे, बहु थोडा ज पुष्टिजीवो छे, तेमांना आपणे छीये. आवा पसंदगी पामेला अल्प मां प्रभुनी कृपा विना स्थान मले ? आ पहेली कृपा
2) पछी शरणागति अने समर्पणनी दीक्षा मले ए बीजी कृपा
3) वंश-वारसामां अनुकूल वैष्णव-परिवार मले ते त्रीजी कृपा.
4) सेवानी आज्ञा अने स्वरुप प्राप्त थाय ते चोथी कृपा
कृपानो तो आपणा उपर मूशलधार वरसाद वरसे छे. बारी-बारणां बंध करी बेसीये तो दोष कोनो ? श्रीमहाप्रभुजी आज्ञा करे छे:- तमारा 'माह्यला' ने खानगीमां पूछी जुओ : आ कृपा झीलवानी तमारी तैयारी छे ? घरआंगणे आवती कृपारुपी गंगाने जोइ घरनां बारणां केम वासी दो छो ? पुष्टिमार्गमां आवी, कृपामां भींजावाने बदले, सेवा-स्मरण विनाना कोरा केम छो ? श्रीमहाप्रभुजी समजावे छे-: कृपा करवामां भगवान भले स्वतंत्र होय, पण एमनी एक नबळाइ छे. प्रेम जोइने प्रभु पीगळी जाय छे. तमारा स्वार्थ माटे प्रेमनुं प्रदर्शन करवा न जशो , पण तेने साचो प्रेम करो . प्रेममां दीनता उमेराय तो सोनुं वधु उजलुं थाय. दीनतानी साथे नि:साधनता उमेरो . सोनामां सुगंध मलशे. एना सुख माटे तापभाव राखो, तो सोनुं घरेणुं बनी जशे. दीनता, तापभाव अने नि:साधनता तमारा हाथनी वात छे. आ त्रण जीवनमां आव्यां एटले प्रेमास्पद प्रभुनेय प्रेम पामवा आव्या विना छूटको नथी. प्रभुने प्रेम खेचीने लइयावशे. आ त्रणे चीजो माटे मथवुं पडे. कोइ मोमां कोडीयो मूकी आपे. चाववा माटे दांत अने शक्ति आपे . पण चाववुं तो आपणे ज पडे ! भगवान आपणी पासे चवडावे ते ज तेनी कृपा ! चालो प्रभुनी कृपा झीलवा तैयार थइये.
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