जन्माष्टमी की बधाई
राग मारू
श्रीगोपाललाल गोकुल चले हो बल बल तिहिं काल।
मोदभरे वसुदेव गौद ले अखिल लोक प्रतिपाल।।१।।
उदय जैसे तम फूटत खुली गए तैसे कुटिल कपाट।
महा वेग बल छांड आपनो दीनी श्रीजमुना वाट।।२।।
भोर भये जैसे कुमुदिनी मुंदत कंसादिक भये मोहे।
संत जनन के मन अंबुज वन फुले डहडहे सोहे।।३।।
बारबार फुही फुलसी बरखत अंबर अंबुद छायो।
अपनों निज वपु सेस जानिके बुंद बचावन आयो।।४।।
परम धाम जग धाम श्याम अभिराम श्रीगोकुल आये।
नंददास आनंद भयो ब्रज हरखित मंगल गाये।।५।।
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