एक बार प्रभु यसोदा जी की गोदी मै बैठ के खेल रहे थे खेलते खेलते प्रभु बोले मैया मुझे आप से कुछ चाहिए मोहे ऐसी दुल्हन भावे की गोदी मै बैठ सिंगार करे गोदी मै उठा के बहार ले जाए मुझे ऎसी दुल्हन ला दीजिये....
मैया तो सोच मै पड़ गई की ऐसी दुल्हन क्हा मिले?
मैया का ये मनोरथ साढ़े चार हजार वरस बाद श्री वल्लभ ने पुरो कियो कैसे?
सब जिव को ब्रह्मसम्बध् करवा दिये सब ठाकुरजीकी दुल्हन बन गये प्रत्येक जीव् को विवाह करवा दियो आज हम सब प्रभुको गोदी मै लेके सिंगार करते हे झांपी जी मै पधराय के बाहर लेजाते हे....कितनीकृपा करि श्री वललभ ने हमजीव् पर ब्रह्मसमन्ध करवा कर.........
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