व्रज - आश्विन अधिक कृष्ण अष्टमी
शनिवार, 10.10.2020
आज के मनोरथ -
राजभोग में सूखे मेवा की मंडली
शाम को ‘पुलिन पवित्र सुभग यमुना तट’ का मनोरथ
विशेष - अधिक मास में आज श्रीजी को सुथन, फेंटा और पटका का श्रृंगार धराया जायेगा.
श्रीजी ने अपने सभी भक्तों को आश्रय दिया है, मान दिया है चाहे वो किसी भी जाति या धर्म से हो.
इसी भाव से आज ठाकुर जी अपनी अनन्य मुस्लिम भक्त ताजबीबी की भावना से सूथन-पटका का श्रृंगार धराते हैं. यह श्रृंगार ताजबीबी की विनती पर सर्वप्रथम भक्तकामना पूरक श्री गुसांईजी ने धराया था.
ताजबीबी की ओर से यह श्रृंगार वर्ष में छह बार धराया जाता है. भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) के दिन यह श्रृंगार नियम से धराया जाता है. अधिक मास में ये शृंगार उपरोक्त के अलावा धराया जायेगा.
ताजबीबी बादशाह अकबर की बेगम, प्रभु की भक्त और श्री गुसांईजी की परम-भगवदीय सेवक थी. उन्होंने कई कीर्तनों की रचना भी की है और उनके सेव्य स्वरुप श्री ललितत्रिभंगी जी वर्तमान में गुजरात के पोरबंदर में श्री रणछोड़जी की हवेली में विराजित हैं.
राजभोग दर्शन -
कीर्तन - (राग: तोडी)
देख गजबाज आज वृजराज बिराजत गोपनके शीरताज ।
देस देस ते खटदरसन आवत मनवा छीत कूल पावत
किरत अपरंपार ऊंचे चढ़े दान जहाज ।।1।।
सुरभि तिल पर्वत अर्ब खर्ब कंचन मनी दीने, सो सुत हित के काज ।
हरि नारायण श्यामदास के प्रभु को नाम कर्म करावन,
महेर मुदित मन बंधि है धर्म की पाज ।।2।।
साज - श्रीजी में आज चंदनी रंग की मलमल पर सुनहरी जरी की तुईलैस की किनारी की धोरेवाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है और चरणचैकी के ऊपर हरी मखमल जड़ी होती है.
वस्त्र - श्रीजी को आज चंदनी किनारी के धोरा का सूथन और राजशाही पटका धराया जाता है. दोनों वस्त्र सुनहरी जरी की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के होते हैं.
श्रृंगार - ठाकुरजी को आज छेड़ान का (हलका) श्रृंगार धराया जाता है. फिरोजा के सर्व आभरण के धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर चोफुली चुंदड़ी के फेंटा का साज धराया जाता है जिसमें चंदनी रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, बीच की चंद्रिका, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में फिरोजा के लोलकबंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.
कमल माला धरायी जाती है. श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, फिरोजी मीना के वेणुजी और दो वेत्रजी धराये जाते हैं. पट केसरी रंग का व गोटी बाघ-बकरी की आती है.
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