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व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण चतुर्थी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण चतुर्थी

Tuesday, 06 October 2020


आज के मनोरथ-


राजभोग में बंगला


शाम को गिरि कंदरा का मनोरथ


विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को धनक (मोढडाभात) के लहरियाँ के धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर फेटा के साज का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


सदा व्रजहीमें करत विहार l

तबके गोप भेख वपु धार्यो अब द्विजवर अवतार ll 1 ll

तब गोकुलमें नंदसुवन अब श्रीवल्लभ राजकुमार l

आपुन चरित्र सिखावत औरन निजमत सेवा सार ll 2 ll

युगलरूप गिरिधरन श्रीविट्ठल लीला ईक अनुसार l

‘चत्रभुज’ प्रभु सुख शैल निवासी भक्तन कृपा उदार ll 3 ll


साज – आज श्रीजी में धनक (मोढडाभात) के लहरियाँ की रुपहली ज़री की तुईलैस के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज धनक (मोढडाभात) के लहरियाँ की धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता है. दोनों वस्त्र सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र स्याम रंग के होते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फ़िरोज़ा के सर्व-आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर धनक (मोढडाभात) के लहरियाँ के फेटा का साज धराया जाता है जिसमें धनक के लहरियाँ के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, बीच की चंद्रिका, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में हीरा के लोलकबंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.

कमल माला धरायी जाती है.

श्वेत एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल एवं गोटी मीना की आती हैं.


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