व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण तृतीया
Monday, 05 October 2020
आज के मनोरथ-
राजभोग में केसरी घटा संग सोने का बंगला
शाम को डोल तिवारी में काँच का हिंडोरा
अधिक मास में आज श्रीजी को मेघश्याम पिछोड़ा केसरी घटा वत श्रृंगार धराया जायेगा
राजभोग दर्शन –
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
कहा कहो लाल सुघर रंग राख्यो मुरलीमें l
तान बंधान स्वर भेदलेत अतिजित
बिचबिच मिलवत विकट अवधर ll 1 ll
चोख माखनीकी रेख तामे गायन मिलवत लांबे लांबे स्वर l
बिच बिच लेत तिहारो नाम सुनरी सयानी,
‘गोविंदप्रभु’ व्रजरानी के कुंवर ll 2 ll
साज – श्रीजी में आज केसरी मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर केसरी बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी मलमल का पिछोड़ा (चित्र में भिन्न) धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र केसरी रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – आज प्रभु को वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है..स्वर्ण के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर सोना की तोपी के ऊपर सोने का किरीट एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में सोने के कुण्डल धराये जाते हैं.
पीले एवं श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में स्वर्ण के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट केसरी, गोटी सोने की आती है.
राजभोग में केसरी घटा के संग सोने का बंगला आता हैं.
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