top of page
Search

व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण द्वितीया

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण द्वितीया

Saturday, 03 October 2020


आज के मनोरथ-


राजभोग में बंगला


शाम को द्वादश निकुंज का मनोरथ


कीर्तन – (राग : सारंग)


नागरी नागरसो मिल गावत रासमें सारंग राग जम्यो l

तान बंधान तीन मूर्छना देखत वैभव काम कम्यौ ll 1 ll

अद्भुत अवधि कहां लगी वरनौ मोहन मूरति वदन रम्यो l

भजि ‘कृष्णदास’ थक्ति नभ उडुपति गिरिधर कौतुक दर्प दम्यो ll 2 ll


साज – आज श्रीजी में मलमल की श्याम चोफुली चुंदड़ी की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज मलमल पर श्याम चोफुली चुंदड़ी का सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, काछनी एवं पीताम्बर धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र स्वेत भातवार के होते हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर डाख का मुकुट और मुकुट पर मुकुट पिताम्बर एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

कस्तूरी कली एवं कमल माला धराई जाती हैं.

चोटीजी मीना की आती है.

पीले एवं श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, चाँदी के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट स्याम व गोटी मोर की आती है.

0 views0 comments

댓글


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page