top of page
Search

व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण नवमी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण नवमी

Sunday, 11 October 2020


आज के मनोरथ-


प्रातः नंद महोत्सव


शाम को बंगला


विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को केसरी मलमल का पिछोड़ा व श्रीमस्तक पर केसरी कुल्हे और पाँच मोर चंद्रिका की जोड़ का श्रृंगार धराया जायेगा.


कीर्तन – (राग : सारंग)


हेरि है आज नंदराय के आनंद भयो l

नाचत गोपी करत कुलाहल मंगल चार ठयो ll 1 ll

राती पीरी चोली पहेरे नौतन झुमक सारी l

चोवा चंदन अंग लगावे सेंदुर मांग संवारी ll 2 ll

माखन दूध दह्यो भरिभाजन सकल ग्वाल ले आये l

बाजत बेनु पखावज महुवरि गावति गीत सुहाये ll 3 ll

हरद दूब अक्षत दधि कुंकुम आँगन बाढ़ी कीच l

हसत परस्पर प्रेम मुदित मन लाग लाग भुज बीच ll 4 ll

चहुँ वेद ध्वनि करत महामुनि पंचशब्द ढ़म ढ़ोल l

‘परमानंद’ बढ्यो गोकुलमे आनंद हृदय कलोल ll 5 ll


साज – नन्दभवन में बधाई देने एवं दर्शन करने को आये व्रजभक्तों की भीड़ एवं दूसरी ओर छठी पूजन और लालन को पलना झुलाते नंदबाबा और यशोदाजी के सुन्दर चित्रांकन वाली पिछवाई आज श्रीजी में आती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. चरणचौकी, पड़घा, बंटाजी आदि जड़ाव स्वर्ण के धरे जाते हैं.


वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी मलमल का रुपहली किनारी से सुसज्जित पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के होते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का श्रृंगार धराया जाता है. हीरा के सर्वआभरण धराये जाते हैं.


श्रीमस्तक पर रुपहली किनारी से सुसज्जित केसरी मलमल की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, पांच मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में हीरा के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

कली, कस्तूरी एवं कमल माला धरायी जाती है. पीले एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, मीना के लहरियाँ वाले वेणुजी एवं दो वैत्रजी धराये जाते हैं.

पट केसरी व गोटी मीना की आती है.


0 views0 comments

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page