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व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण षष्ठी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण षष्ठी

Thursday, 08 October 2020


आज के मनोरथ-


राजभोग में बंगला


शाम को चवरी का मनोरथ


विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को लाल मलमल की धोती, पटका और छज्जेदार पाग पर सेहरा का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


मोरको सिर मुकुट बन्यो मोर ही की माला l

दुलहनसि राधाजु दुल्हे हो नंदलाला ll 1 ll

बचन रचन चार हसि गावत व्रजबाला l

घोंघी के प्रभु राजत हें मंडप गोपाला ll 2 ll


साज – श्रीजी में आज संकेत वन में विवाह लीला के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र - श्रीजी को आज लाल मलमल के धोती एवं राजशाही पटका धराये जाते हैं.

ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – श्रीजी को प्रभु को आज मध्य (घुटने तक) का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर फ़िरोज़ा का सेहरा दो तुर्री एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में हीरा के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

दायीं ओर सेहरे की मीना की चोटी धरायी जाती है.

श्रीकंठ में कली, कस्तूरी व कमल माला धरायी जाती है.

श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में गुलाबी मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल व गोटी राग रंग की आती है.


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