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व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल अष्टमी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल अष्टमी

Thursday, 24 September 2020


आज के मनोरथ-


राजभोग में शीशम का बंगला


शाम को गौचारण का मनोरथ


विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को पिले मलमल पर गुलाबी छाप का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


नंदलाल चले गौचारण कूं, ग्वालिन कूं गोबर हेलि उचाई।।

बाकी सास अरु नंद निहार रही, इतराय रही है जे कैसी लुगाई।।

याकै रूप को जोबन मतवारौ, अंग अंग अनोखी हरषाई।।

श्याम गोरी बरसाने की, जापै रीझ रह्यौ यह कारो कन्हाई।।


साज – आज श्रीजी में गौचारण लीला के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज पिले रंग की मलमल पर गुलाबी छाप का का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का श्रृंगार धराया जाता है. सर्व आभरण मिलमा धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर पिले रंग के ग्वालपाग (पगा) के ऊपर सिरपैंच, लूम, पगा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं.

गुलाबी एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी वेत्र धराये जाते हैं.

पट पिला व गोटी चाँदी की बाघ बकरी की आती है.


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