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व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल एकादशी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल एकादशी

Sunday, 27 September 2020


आज के मनोरथ-


राजभोग में कमल की मंडली


शाम को ‘दानगढ़ मानगढ़’ का मनोरथ


विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को लाल छाप का मुकुट काछनी का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


मुकुट की छांह मनोहर कीये l

सघन कुंजते निकस सांवरो संग राधिका लीये ll 1 ll

फूलन के हार सिंगार फूलन के खोर चंदन की कीये l

'परमानंद दास'को ठाकुर ग्वालबाल संग लीये ll 2 ll


साज – आज श्रीजी में श्री यमुना जी एवं प्रभु की सेवा में पधारती गोपियों के चित्रांकन की सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज मलमल का लाल छाप का सूथन, काछनी, गाती का पटका धराये जाते हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र श्वेत भातवार के धराये जाते हैं.


श्रृंगार - श्रीजी को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर सिलमा सितारा की मुकुट टोपी के ऊपर मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.

श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं. बायीं ओर मीना की शिखा (चोटी) धरायी जाती है.

श्रीकंठ में कली, कस्तूरी व कमल माला धरायी जाती है.

श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की विविध पुष्पों की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लहरियाँ के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल व गोटी नाचते मोर की आती है.


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