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व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल दशमी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल दशमी

Saturday, 26 September 2020


आज के मनोरथ-


राजभोग में बगला का मनोरथ


शाम को ‘जल को गई सुघट नेह भर लाई’ मनोरथ


जमुनाजल घट भर चली चन्द्रावल नार ।

मारग में खेलत मिले घनश्याम मुरार ।।१।।

नयनन सों नेना मिले मन हर लियो लुभाय ।

मोहन मूरति मन बसी पग धर्यो न जाय ।।२।।

तब की प्रीती प्रकट भई यह पहली ही भेंट ।

परमानन्द ऐसी मिली जैसे गुड़ में चेट ।।३।।


विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को लाल सफ़ेद लहरियाँ के धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


जमुना जल भरन गई ।

देखत जीये सकुच रही पनघट पर देख्यों नंद दुलारो ।।१।।

दुपहरी झनक भई तामें आये पिय मेरे मैं ऊठ कीनो आदर ।

आँखे भर ले गई तनकी तपत सब ठौर ठौर बूंदन चमक ।।२।।

रोम रोम सुख संतोष भयो गयो अनंग तनमें न रह्यो ननक ।

मोहें मिल्यो अब धोंधी के प्रभु मिट गई विरह की जनक ।।३।।


साज – आज श्रीजी में लाल सफ़ेद लहरियाँ की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज लाल सफ़ेद लहरियाँ की ढोती एवं राजशाही पटका धराया जाता है. दोनों वस्त्र सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र फ़िरोज़ी रंग के होते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फ़ीरोज़ा के सर्व-आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर गोल पाग के ऊपर जड़ाऊ सुनहरी लूम व तुर्रा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्रीकंठ में एक हार एवं श्वेत एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरियाँ के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल एवं गोटी मीना की आती हैं.


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