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व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल नवमी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल नवमी

Friday, 25 September 2020


आज के मनोरथ-


इलाइची की मंडली का मनोरथ


विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को श्वेत मलमल पर लाल हाशिया का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


बैठे हरि राधा संग कुंजभवन अपने रंग

कर मुरली अधर धरे सारंग मुख गाई l

मोहन अति ही सुजान परम चतुर गुन निधान

जान बुझ एक तान चूकके बजाई ll 1 ll

प्यारी जब गह्यो बीन सकल कला गुन प्रवीन

अति नवीन रूप सहित, वही तान सूनाई ll 2 ll

‘वल्लभ’ गिरिधरन लाल रिझ दई अंकमाल

कहत भले भले जु लाल सुंदर सुखदाई ll 3 ll


साज – श्रीजी में आज लाल रंग की चोफूली चूंदड़ी की सुनहरी ज़री की तुईलैस की पठानी किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद मखमल मढ़ी हुई होती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज श्वेत मलमल पर लाल हाशिया का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के होते हैं.


श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना तथा सोने के सर्वआभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल खिड़की की श्वेत छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी लूम तथा मोर चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

सफेद एवं पीले पुष्पों की सुन्दर दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं दो वैत्रजी धराये जाते हैं.

पट श्वेत व गोटी मीना की आती है.


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