top of page
Search

व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल पूर्णिमा

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल पूर्णिमा

Thursday, 01 October 2020


आज के मनोरथ-


प्रातः काँच का बंगला


सायं रसिक मोहन बने भामिनी को मनोरथ


विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को श्वेत छाप का मुकुट काछनी का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


बन्यौ रास मंडल अहो युवति यूथ मध्यनायक नाचे गावै l

उघटत शब्द तत थेई ताथेई गतमे गत उपजावे ll 1 ll

बनी श्रीराधावल्लभ जोरी उपमाको दीजै कोरी, लटकत कै बांह जोरी रीझ रिझावे l

सुरनर मुनि मोहे जहा तहा थकित भये मीठी मीठी तानन लालन वेणु बजावे ll 2 ll

अंग अंग चित्र कियें मोरचंद माथे दियें काछिनी काछे पीताम्बर शोभा पावे l

‘चतुर बिहारी’ प्यारी प्यारा ऊपर डार वारी तनमनधन, यह सुख कहत न आवे ll 3 ll


साज - “द्वे द्वे गोपी बीच बीच माधौ” अर्थात दो गोपियों के बीच माधव श्री कृष्ण खड़े शरद-रास कर रहें हैं ऐसी महारासलीला के अद्भुत चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई आज श्रीजी में धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद लट्ठा की बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को मलमल का श्वेत छाप का सूथन, काछनी,पीताम्बर तथा चोली धरायी जाती है. ठाड़े वस्त्र श्वेत भातवार के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला का श्रृंगार धराया जाता है. हीरे एवं मोती सर्व आभरण धराये जाते हैं.


श्रीमस्तक पर हीरे का जड़ाव का मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं. आज चोटीजी नहीं धराई जाती हैं.

कस्तूरी, कली आदि सभी माला धरायी जाती हैं

श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, चाँदी के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.पट श्वेत व गोटी मोर की आती है.


0 views0 comments

留言


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page