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व्रज - आश्विन कृष्ण चतुर्थी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज - आश्विन कृष्ण चतुर्थी


रविवार, 6.9.2020


विशेष - आज सूथन, फेंटा और पटका का श्रृंगार धराया जाता है.

श्रीजी ने अपने सभी भक्तों को आश्रय दिया है, मान दिया है चाहे वो किसी भी जाति या धर्म से हो.


इसी भाव से आज ठाकुर जी अपनी अनन्य मुस्लिम भक्त ताजबीबी की भावना से सूथन-पटका का श्रृंगार धराते हैं. यह श्रृंगार ताजबीबी की विनती पर सर्वप्रथम भक्तकामना पूरक श्री गुसांईजी ने धराया था.


ताजबीबी की ओर से यह श्रृंगार वर्ष में छह बार धराया जाता है.


भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) के दिन यह श्रृंगार नियम से धराया जाता है यद्यपि इस श्रृंगार को धराने के अन्य पांच दिन निश्चित नहीं हैं.


ताजबीबी बादशाह अकबर की बेगम, प्रभु की भक्त और श्री गुसांईजी की परम-भगवदीय सेवक थी. उन्होंने कई कीर्तनों की रचना भी की है और उनके सेव्य स्वरुप श्रीललितत्रिभंगी जी वर्तमान में गुजरात के पोरबंदर में श्री रणछोडजी की हवेली में विराजित हैं.


आज प्रभु को मेघस्याम रंग के धोरा के वस्त्र धराये जायेंगे।


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राजभोग दर्शन -


कीर्तन - (राग : सारंग)


ढाडोई यमुनाघाट देखोई ।

कहा भयो घर गोरस बाढयो और गोधन के घाट ।।1।।

जातपांत कुलको न बड़ो रे चले जाहु किन वाट ।

परमानंद प्रभु रूप ठगोरी लागत न पलक कपाट ।।2।।

राजभोग दर्शन -


साज - आज प्रातः श्रीजी में सांकरी खोर में दूध-दही बेचने जाती गोपियों के पास से दान मांगते एवं दूध-दही लूटते श्री ठाकुरजी एवं सखा जनों के सुन्दर चित्रांकन वाली दानलीला की प्राचीन पिछवाई धरायी जाती है.

गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र - श्रीजी को आज मेघस्याम रंग के धोरा का सूथन और राजशाही पटका धराया जाता है. दोनों वस्त्र सुनहरी जरी की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाडे वस्त्र केसरी रंग के होते हैं.


श्रृंगार - ठाकुरजी को आज मध्य का (घुटने तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण के धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर मेघस्याम रंग का फेंटा का साज धराया जाता है जिसमें मेघस्याम रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, बीच की चंद्रिका, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में लोलकबंदी लड वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.


कमल माला धरायी जाती है. श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.


श्रीहस्त में एक कमल की कमलछडी, चाँदी के वेणुजी और दो वेत्रजी धराये जाते हैं.


पट मेघस्याम रंग का व गोटी बाघ-बकरी की आती है.


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