व्रज – आश्विन कृष्ण षष्ठी
Tuesday, 08 September 2020
विशेष – आज का श्रृंगार ऐच्छिक है, ऐच्छिक श्रृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है. ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, मौसम की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.
आज श्रीजी को लाल एवं सफ़ेद रंग के लहरिया का पिछोड़ा एवं श्री मस्तक पर दुमाला का श्रृंगार धराया जाएगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
ग्वालिनी मीठी तेरी छाछि l
कहा दूध में मेलि जमायो साँची कहै किन वांछि ll 1 ll
और भांति चितैवो तेरौ भ्रौह चलत है आछि l
ऐसो टक झक कबहु न दैख्यो तू जो रही कछि काछि ll 2 ll
रहसि कान्ह कर कुचगति परसत तु जो परति है पाछि l
‘परमानंद’ गोपाल आलिंगी गोप वधू हरिनाछि ll 3 ll
साज – श्रीजी में आज लाल एवं सफ़ेद रंग की लहरिया की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज लाल व सफ़ेद रंग की मलमल का लहरिया का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के होते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज मध्य (घुटने तक) का छेड़ान का श्रृंगार धराया जाता है. फ़ीरोज़ा के सर्वआभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लाल सफ़ेद रंग के लहरिया के दुमाला के ऊपर सिरपैंच, कलगा (भीमसेनी कतरा) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में लोलक बिंदी धराये जाते हैं.
श्रीकंठ में कमल माला धरायी जाती है.
पीले एवं श्वेत पुष्पों की रंगीन थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट लाल व गोटी चाँदी की बाघ बकरी की आती हैं.
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