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व्रज - आषाढ़ कृष्ण अष्टमी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज - आषाढ़ कृष्ण अष्टमी

Friday, 02 July 2021


शरबती मलमल का आड़बंद एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग और गोल चंद्रिका के शृंगार


जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.


ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को शरबती मलमल का आड़बंद एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग और गोल चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


साज – (राग : सारंग)


पनिया न जैहोरी आली नंदनंदन मेरी मटुकी झटकिके पटकी l

ठीक दुपहरीमें अटकी कुंजनमें कोऊ न जाने मेरे घटकी ll 1 ll

कहारी करो कछु बस नहि मेरो नागर नटसों अटकी l

‘नंददास’ प्रभुकी छबि निरखत सुधि न रही पनघटकी ll 2 ll


साज – आज श्रीजी में शरबती रंग की मलमल रूपहली ज़री की किनारी वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को शरबती मलमल का रूपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित आड़बंद धराया जाता है.


श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.

मोती के आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर शरबती रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में मोती के एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, झीने लहरियाँ के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट व गोटी ऊष्णकाल के आते है.

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