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व्रज – पौष कृष्ण दशमी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – पौष कृष्ण दशमी

Friday, 08 January 2021


श्री गुसांईजी के उत्सव का परचारगी श्रृंगार


विशेष – आज श्री गुसांईजी के उत्सव का परचारगी श्रृंगार धराया जाता है. आज सभी साज, वस्त्र एवं श्रृंगार पिछली कल की भांति ही होते हैं. इसे परचारगी श्रृंगार कहते हैं.


श्रीजी में लगभग सभी बड़े उत्सवों के एक दिन बाद उस उत्सव का परचारगी श्रृंगार होता है. परचारगी श्रृंगार के श्रृंगारी श्रीजी के परचारक महाराज (चिरंजीवी श्री विशाल बावा) होते हैं. यदि वो उपस्थित हों तो वही श्रृंगारी होते हैं.


आज राजभोग में सखड़ी में विशेष रूप से सूरण प्रकार अरोगाये जाते हैं.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


नंद बधाई दीजे ग्वालन l

तुम्हारे श्याम मनोहर आये गोकुल के प्रति पालन ll 1 ll

युवतिन बहु विधि भूषन दीजे विप्रन को गौदान l

गोकुल मंगल महा महोच्छव कमल नैन घनश्याम ll 2 ll

नाचत देव विमल गंधर्व मुनि गावत गीत रसाल l

‘परमानंद’ प्रभु तुम चिरजीयो नंदगोपके लाल ll 3 ll


साज - श्रीजी में आज लाल रंग की मखमल की, सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. यही पिछवाई जन्माष्टमी के दिन भी आती है. आज भी सभी साज जडाऊ आते हैं, गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट नहीं आती है एवं प्रभु के स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.

आज दो समय की आरती थाली में करी जाती हैं.


वस्त्र – श्रीजी को आज सुन्दर केसरी साटन के वस्त्र - बिना किनारी का अडतू का सूथन, चोली, चाकदार वागा एवं मोजाजी धराये जाते हैं. पटका केसरी किनारी के फूल का व ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – श्रीजी को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) दो जोड़ी का भारी श्रृंगार धराया जाता है. मिलवा-हीरा, मोती, माणक, पन्ना तथा जड़ाव स्वर्ण के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर जड़ाव हीरा एवं पन्ना जड़ित स्वर्ण की केसरी कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, पांच मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. बायीं ओर हीरा की चोटी (शिखा) धरायी जाती है.

श्रीकंठ में त्रवल, टोडर दोनों धराये जाते हैं. पीठिका के ऊपर प्राचीन जड़ाव स्वर्ण का चौखटा धराया जाता है. कस्तूरी, कली आदि सब माला धरायी जाती हैं. श्वेत, गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में हीरा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट उत्सव का गोटी जडाऊ आती है. आरती चार झाड़ की व सोने की डांडी की आती है.


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