top of page
Search

व्रज – पौष कृष्ण सप्तमी(षष्ठी क्षय)

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – पौष कृष्ण सप्तमी(षष्ठी क्षय)

Tuesday, 05 January 2021


विशेष – आज श्री गुसांईजी के द्वितीय पुत्र गोविन्दरायजी के प्रथम पुत्र कल्याणरायजी का जन्मोत्सव है.

आप श्री गुसांईजी के सबसे ज्येष्ठ पौत्र थे एवं उनके जीवित रहते ही आपका जन्म विक्रम संवत १६३५ में गोकुल में हुआ था.


आज द्वितीय गृहाधीश्वर प्रभु श्री विट्ठलनाथजी के घर (मंदिर) से श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी के भोग हेतु घेरा (जलेबी) की सामग्री सिद्ध हो कर आती है.


आज से पौष कृष्ण द्वादशी तक प्रतिदिन श्रीजी को मोरपंख की चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है. इसका विशिष्ट कारण यह है कि मयूर भी निष्काम वियोगी भक्त का स्वरुप है.

श्री गुसांईजी को छः माह तक श्रीजी के विप्र-योग का अनुभव हुआ था अतः आपके उत्सव को बीच में रख कर छः दिवस तक प्रतिदिन मोरपंख की चन्द्रिका श्रीजी को धरायी जाती है.


राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

जशोदा फूली ना मात मन में l

नाचत गावत देत बधाई, जोवत युवती जनमें ll 1 ll

गोकुल के कुल को रखवारो प्रकट्यो गोपी गगन में l

काल्हि फिरे बालक बलिके संग जैहे वृन्दावनमें ll 2 ll

सूंकत घाननको ज्यों पान्यो यो पायो या पनमें l

गिरिधरलाल ‘कल्यान’ कहत व्रजमहरि मगन सुसदन में ll 3 ll


साज – आज श्रीजी में लाल साटन की, तोते, चिड़िया, मयूर आदि विभिन्न पक्षियों के भरतकाम (Work) से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है जिसमें रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी का हांशिया बना है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं प्रभु के स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज लाल रंग की साटन (Satin) का रुपहली ज़री के पक्षियों के भरतकाम एवं तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली, चाकदार वागा एवं मोजाजी धराये जाते हैं. पटका लाल मलमल का धराया जाता हैं.किनखाब के ठाड़े वस्त्र मेघश्याम छापा के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है. हीरा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर मीना के पक्षी की मीनाकारी वाली कुल्हे के ऊपर पान, पांच मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. बायीं ओर मीना की चोटी (शिखा) धरायी जाती है.

कली कस्तूरी आदी सब माला धराई जाती हैं.


श्वेत, गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में मीना के पक्षी के वेणुजी (एक सोना का) एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.


पट लाल गोटी मीना की पक्षी की धरायी जाते हैं.

आरसी शृंगार में पीले खंड की एवं राजभोग में सोना की डांडी की दिखाई जाती हैं.


संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर हल्के आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर कुल्हे बड़ीं कर लाल कुल्हे धराये जाते हैं.


0 views0 comments

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page