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व्रज – श्रावण शुक्ल अष्टमी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – श्रावण शुक्ल अष्टमी

Monday, 16 August 2021


नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोविन्दलालजी महाराज कृत सप्तस्वरूपोत्सव


तत्कालीन सरकार के सामने कई वर्षो की लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद नित्यलीलास्थ तिलकायत श्री गोविन्दलालजी महाराज श्री ने श्रीनाथजीकी सेवा के सर्वोपरि अधिकार प्राप्त किये, इसी विजयपर्व के उपलक्ष्य में आज श्रावण शुक्ल नवमी के दिन आपश्री द्वारा विक्रम संवत २०२३ में अद्वितीय सप्तस्वरूपोत्सव आयोजित किया गया था.


इस उत्सव में श्री नवनीतप्रियाजी, श्री विट्ठलनाथजी, श्री द्वारिकाधीशजी, श्री गोकुलनाथजी, श्री गोकुलचंद्रमाजी, श्री नटवरलालजी, श्री मदनमोहनजी, श्री मुकुंदरायजी आदि स्वरूपों एवं उनके घर के पूज्य श्री आचार्यचरण पधारे थे.

कई दिनों के प्रसंग में सात स्वरुप के भाव से सात बड़े मनोरथ हुए थे. छाक का मनोरथ नाथूवास गौशाला में, हिंडोलना का मनोरथ लालबाग़ में, नन्द महोत्सव, पलना, हिंडोलना, हटड़ी, पवित्रा का मनोरथ, एवं आज के दिन छप्पनभोग महोत्सव आदि भव्य एवं अभूतपूर्व मनोरथ इस दौरान आयोजित हुए.


श्रीजी में सप्तस्वरूप उत्सवके दर्शन लगातार 16 घंटे खुले रहे.हजारो लाखो वैष्णवो ने दर्शन किये.


नाथद्वारा के बुजुर्ग आज भी इस भव्य आयोजन का गुणगान करते नहीं थकते. इस प्रसंग पर अनेक पद रचे गये एवं कई विद्वानों ने इस अद्भुत सप्तस्वरूपोत्सव का विभिन्न साहित्यों में सुन्दर वर्णन किया है. ऐसा कहा जाता है कि नाथद्वारा नगर की अर्थव्यवस्था का अभ्युदय इस उत्सव के उपरांत ही आरम्भ हुआ था.

सही में उस समय जो अद्भुत सुख की वर्षा हुई थी उसके लिए तो इतना ही कहा जासकता है 'यह अवसर जे हते ते महाभाग्यवान' उस समय के कुछ पुराने चित्रजी की एक झलक

(श्रीगोविंदलालजी महाराजश्री के स्मृति ग्रंथ में से उद्धधृत)


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