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व्रज – आश्विन कृष्ण अष्टमी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – आश्विन कृष्ण अष्टमी

Wednesday, 25 October 2024


श्री महाप्रभुजी के पौत्र पुरुषोत्तमजी का उत्सव


विशेष – आज श्री महाप्रभुजी के ज्येष्ठ पुत्र श्री गोपीनाथजी के पुत्र श्री पुरुषोत्तमजी का उत्सव है.

श्री गोपीनाथजी के नित्यलीला में प्रवेश के समय आपकी आयु 10 वर्ष की थी.

श्री विट्ठलनाथजी ने तब आपको पुष्टिमार्गीय आचार्य के रूप में तिलक किया. आपने भी केवल 19 वर्ष की अल्पायु में नित्यलीला प्रवेश किया अतः आपके जीवन चरित्र के विषय में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है.

आपके अविवाहित ही नित्यलीलास्थ होने से श्री गोपीनाथजी का वंश श्री पुरुषोत्तमजी के पश्चात वहीँ समाप्त हो गया.


राजभोग दर्शन –


साज – श्रीजी में आज दान के दिवसों के अनुरूप, मस्तक पर गौरस की स्वर्ण गौरसियाँ (कलश) लेकर आती व्रजभक्त गोपीजनों के सुन्दर चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरण चौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र - श्रीजी को आज पीले रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, काछनी तथा रास-पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र श्वेत भातवार के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना एवं जड़ाव सोने के आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर हीरे तथा माणक का जड़ाऊ मुकुट एवं मुकुट पर मुकुट पिताम्बर एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

कस्तूरी, कली एवं कमल माला धराई जाती हैं.

लाल गुलाब एवं श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी दो वैत्रजी ( एक स्वर्ण का) धराये जाते हैं.


पट पिला एवं गोटी दान की आती हैं.

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