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व्रज – आश्विन कृष्ण नवमी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – आश्विन कृष्ण नवमी

Thursday, 26 September 2024


विशेष – आज नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोविन्दलालजी महाराजश्री के बहूजी एवं वर्तमान तिलकायत पूज्य गौस्वामी श्री राकेशजी महाराज की मातृचरण नित्यलीलास्थ अखंड सौभाग्यकांक्षी श्री विजयलक्ष्मी बहूजी का उत्सव है.


आज श्रीजी को दान का पाचवा व नियम का मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जायेगा.


श्रीजी में आज नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोविन्दलालजी महाराज के समस्त परिवारजनों के सुन्दर चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरी जाती है जिसमें स्वयं श्री गोविन्दलालजी महाराज बायीं ओर खड़े आरती कर रहे हैं, दोनों ओर उनके परिवार के सदस्य खड़े और विराजित हैं.


आज तिलकायत परिवार की ओर से महादान की सामग्री अरोगायी जाती है. आज कदम्ब-खंडी के दान का भाव है.


श्रीजी मंदिर में आज संध्या-आरती पश्चात नन्दगाँव और बरसाना की सांझी मांडी जाती है.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


जमुना घाट रोकी हो रसिक चन्द्रावलि l

हसि मुसिकयाय कहति व्रज सुंदरि छबीलै छैल छांडो अंचल ll 1 ll

दान निवेर लैहो व्रजसुंदरि छांडो अटपटी कित गहत अलकावलि l

करसों कर गहि हृदयसों लगाय लई ‘गोविंद’ प्रभुसो तु रासरंग मिलि ll 2 ll


साज – श्रीजी में आज नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोविन्दलालजी महाराज के समस्त परिवारजनों के सुन्दर चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरी जाती है जिसमें स्वयं श्री गोविन्दलालजी महाराज बायीं ओर खड़े आरती कर रहे हैं और दायीं ओर क्रमशः नित्यलीलास्थ श्री राजीवजी (दाऊबावा), चिरंजीवी श्री विशालबावा, वर्तमान गौस्वामी तिलकायत श्री राकेशजी महाराज एवं उनकी माता श्री विजयलक्ष्मी बहूजी खड़ीं हैं. बायीं ओर विराजित स्वरूपों में बाएं से दूसरे श्री राजेश्वरीजी बहूजी (वर्तमान गौस्वामी तिलकायत श्री राकेश जी महाराज श्री के बहूजी) हैं. गादी, तकिया और चरण चौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र - श्रीजी को आज लाल श्वेत (राजशाही) लहरिया के वस्त्र पर रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, काछनी तथा रास-पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र श्वेत भांतवार धराये जाते हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. फ़िरोज़ा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर फ़िरोज़ा का मुकुट और मुकुट पर मुकुट पिताम्बर एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

कस्तूरी, कली एवं कमल माला धराई जाती हैं.

श्वेत पुष्पों एवं कमल की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, फ़िरोज़ा के वेणुजी व दो वेत्रजी (एक सोना का) धराये जाते हैं.


पट लाल एवं गोटी मोर की आती हैं.

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