व्रज - आश्विन शुक्ल तृतीया
Saturday, 05 October 2024
तृतिय विलास कियो श्यामाजू प्रविन ।
खेलनको उत्साह सखी एकत्र किन ।।१।।
तिनमे मुख्यसखी विशाखाजू ऐन ।
चलीनिकुंज महेलमें कोकिला ज्यौं बैंन ।।२।।
भोग धरी सँवार बासोंधी सनी ।
कुसुमरंग अनेक गुही कामिनी ।।३।।
गानस्वर कियो बनदेवी बिहार ।
नव त्रियाकौ वेष कोटि काम वार ।।४।।
ढिंग आसन कराय प्यारीकों बेठाय ।
दोउ एकत्र किन निरखत लेत बलाय ।।५।।
यह लीलाको द्यान मम ह्रदय ठहराय ।
देखत सुरनर मुनिभूले रसिक बलबल जाय ।।६।।
विशेष – आज तृतीय विलास का लीला स्थल निकुंज महल है. आज के मनोरथ की मुख्य सखी विशाखाजी हैं और सामग्री बासुंदी है. यद्यपि यह सामग्री श्रीजी में नहीं अरोगायी जाती परन्तु कई गृहों में प्रभु स्वरूपों को अरोगायी जाती है.
आज श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में ‘चाशनीयुक्त कूर के गुंजा’ अरोगाये जाते हैं l
यह एक समोसे जैसी सामग्री है जिसके भीतर कूर (घी में सेका कसार और कुछ सूखा मेवा) भरा होता है. इसके ऊपर चाशनी चढ़ी होती है l
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
बैठे हरि राधा संग कुंजभवन अपने रंग
कर मुरली अधर धरे सारंग मुख गाई l
मोहन अति ही सुजान परम चतुर गुन निधान
जान बुझ एक तान चूकके बजाई ll 1 ll
प्यारी जब गह्यो बीन सकल कला गुन प्रवीन
अति नवीन रूप सहित, वही तान सूनाई ll 2 ll
‘वल्लभ’ गिरिधरन लाल रिझ दई अंकमाल
कहत भले भले जु लाल सुंदर सुखदाई ll 3 ll
साज – श्रीजी को आज हरे रंग के छापा की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को लाल छापा का, सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी वाला सूथन और इसी प्रकार हरे रंग के छापा के वस्त्र पर रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी वाले खुलेबंद के चाकदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र श्याम रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का (घुटने तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर हरे रंग का छापा की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का नागफणी का कतरा व लूम और तुर्री सुनहरी जरी की एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में कर्णफूल के दो जोड़ी धराये जाते हैं.
श्वेत रंग के पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, चाँदी के वेणुजी और दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट हरा व गोटी मीना की आती है.
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