व्रज - आश्विन शुक्ल तृतीया(द्वितीय)
Sunday, 6 October 2024
अमरसी धोती पटका पर स्वेत छापा के खुले बन्ध एवं श्रीमस्तक पर अमरसी गोल पाग पर गोल चंद्रिका के शृंगार
तिथि वृद्धि के कारण आज तृतीया (द्वितीय) है.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
बैठे हरि राधा संग कुंजभवन अपने रंग
कर मुरली अधर धरे सारंग मुख गाई l
मोहन अति ही सुजान परम चतुर गुन निधान
जान बुझ एक तान चूकके बजाई ll 1 ll
प्यारी जब गह्यो बीन सकल कला गुन प्रवीन
अति नवीन रूप सहित, वही तान सूनाई ll 2 ll
‘वल्लभ’ गिरिधरन लाल रिझ दई अंकमाल
कहत भले भले जु लाल सुंदर सुखदाई ll 3 ll
साज – श्रीजी को आज श्वेत छापा की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को अमरसी रंग की धोती पर स्वेत छापा के खुलेबंद के चाकदार वागा धराये जाते है.
सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का (घुटने तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. स्याम मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर अमरसी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चंद्रिका व लूम और तुर्री सुनहरी जरी की एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में कर्णफूल के एक जोड़ी धराये जाते हैं.
श्वेत रंग के पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो सुन्दर मालाजी एवं कमल माला धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, स्याम मीना के वेणुजी और वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट सफ़ेद व गोटी मीना की आती है.
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