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व्रज – आषाढ़ कृष्ण चतुर्दशी (त्रयोदशी क्षय)

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – आषाढ़ कृष्ण चतुर्दशी (त्रयोदशी क्षय)

Thursday, 04 July 2024


श्वेत मलमल के धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव का क़तरा के शृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


आज धरी गिरधर पिय धोती

अति झीनी अरगजा भीनी पीतांबर घन दामिनी जोती ll 1 ll

टेढ़ी पाग भृकुटी छबि राजत श्याम अंग अद्भुत छबि छाई l

मुक्तामाल फूली वनराई, 'परमानंद' प्रभु सब सुखदाई ll 2 ll


श्रीजी में आज सफेद जाली (Net) के वस्त्र पर गोपियों की सज्जा वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को श्वेत रंग की मलमल के धोती एवं पटका धराये जाते है. दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर श्वेत रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में दो जोड़ी मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, सुवा के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.


पट ऊष्णकाल का व गोटी छोटी हकीक की आती है.

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