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व्रज – कार्तिक कृष्ण तृतीया

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – कार्तिक कृष्ण तृतीया

Sunday, 20 october 2024


दीपावली के पूर्व कार्तिक कृष्ण वत्स द्वादशी का प्रतिनिधि श्रृंगार


विशेष – दशहरा के अगले दिन से दीपावली के उत्सव के प्रतिनिधि के श्रृंगार धराये जाते हैं.

इनमें कार्तिक कृष्ण दशमी से दीपावली तक धराये जाने वाले सभी छह श्रृंगारों के प्रतिनिधि के श्रृंगार आगामी दिनों में धराये जाएंगे. इनमें कुछ श्रृंगार के दिन नियत व कुछ खाली दिनों में धराये जाते हैं.

प्रतिनिधि श्रृंगार में वस्त्र, साज और श्रृंगार आदि मुख्य श्रृंगार जैसे ही होते हैं.


इसी श्रृंखला में आज दीपावली के पहले वाली वत्स द्वादशी को धराये जाने वाले वस्त्र और श्रृंगार धराया जाता है जिसमें पिली सलीदार ज़री के घेरदार वागा धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर पिले चीरा (ज़री की पाग) के ऊपर पन्ना की कशी के काम की चन्द्रिका धरायी जाती है.


लगभग यही वस्त्र व श्रृंगार दीपावली के पूर्व की वत्स द्वादशी को भी धराये जायेंगे.


इस श्रृंगार को धराये जाने का अलौकिक भाव भी जान लें.

अन्नकूट के पूर्व अष्टसखियों के भाव से आठ विशिष्ट श्रृंगार धराये जाते हैं. जिस सखी का श्रृंगार हो उनकी अंतरंग सखी की ओर से ये श्रृंगार धराया जाता है. आज का श्रृंगार तुंगविद्याजी का है.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : बिलावल)


सुनरी सेन दई ग्वालन को मोहनलाल बजायो बेन ।

प्रातसमे जागे अनुरागे वृंदावन आनंद माई चले चरावन घेन ।।१।।

बरन बरन बानिक बनि आये पटभूखण जसुमति पहेराये भाल तिलक के आंजे नैन ।

हरिनारायण श्यामदासके प्रभु माई प्रगट भये, धरी सीस चंद्रिका सब व्रजजन सुख देन ।।२।।


साज – श्रीजी में आज कत्थाई (brown) तथा श्याम आधार (base) पर सुनहरी सुरमा सितारा के भरतकाम और हांशिया वाली (कला बत्तू के काम की) पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र - श्रीजी को आज पिली सलीदार ज़री का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज मध्य का (घुटने तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

हांस, त्रवल, कड़ा,हस्त सांखला आदि धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर पिले रंग के सलीदार चीरा (ज़री की पाग) के ऊपर सिरपैंच, पन्ना की कशी के काम की चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.

श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल की दो जोड़ी धराये जाते हैं.

कली की मालाजी धरायी जाती है.

गुलाबी एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, स्वर्ण के (एक पन्ना का) वेणुजी एवं बेंतजी धराये जाते हैं.

पट प्रतिनिधि का एवं गोटी सोना की आती हैं.



संध्या-आरती दर्शन के उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के आभरण व श्रीमस्तक पर रुपहली लूम तुर्रा धराकर शयन दर्शन खुलते हैं.

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