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व्रज - चैत्र कृष्ण तृतीया

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज - चैत्र कृष्ण तृतीया

Thursday, 28 March 2024

लाल ज़री के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव का क़तरा के शृंगार

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

बैठे हरि राधासंग कुंजभवन अपने रंग

कर मुरली अधर धरे सारंग मुख गाई ll

मोहन अतिही सुजान परम चतुर गुननिधान

जान बुझ एक तान चूक के बजाई ll 1 ll

प्यारी जब गह्यो बीन सकल कला गुनप्रवीन

अति नवीन रूपसहित वही तान सुनाई ll

वल्लभ गिरिधरनलाल रिझ दई अंकमाल

कहत भलें भलें लाल सुन्दर सुखदाई ll 2 ll

साज – श्रीजी में आज लाल ज़री की हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज लाल ज़री का रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली, चाकदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल ज़री की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, नागफणी (जमाव) का कतरा व तुर्री एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्रीकंठ में कमल माला एवं गुलाब के पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में हरे मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक सोना का) धराये जाते हैं.


पट लाल व गोटी मीना की आती है.

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