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व्रज – पौष कृष्ण चतुर्थी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – पौष कृष्ण चतुर्थी

Thursday, 19 December 2024

चमक आयो चंदसो मुख कुंजते जब निकसी ।

सुंदर सांवरो किशोर गोहन लाग रहे चकोर ललितादिक कुमुदावलि निरख नयन विकसी ।।

पहिरे तन श्वेत सारी मानों शरद उजियारी

मानों सुधासिंधु मध्य दामिनी घसी ।

कहत भगवान हित रामराय प्रभु प्यारी वश कीने कुंजविहारी छबि निरख मंद हसी ।।


पंचम (रुपहरी) घटा


विशेष – आज श्रीजी में पाँचवीं (रुपहरी) घटा के दर्शन होंगे.


सभी घटाओं में राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में काफ़ी जल्दी हो जाता है. चन्द्रमा के भाव के व बधाई के कीर्तन गाये जाते हैं.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


जयति रुक्मणी नाथ पद्मावती प्राणपति व्रिप्रकुल छत्र आनंदकारी l

दीप वल्लभ वंश जगत निस्तम करन, कोटि ऊडुराज सम तापहारी ll 1 ll

जयति भक्तजन पति पतित पावन करन कामीजन कामना पूरनचारी l

मुक्तिकांक्षीय जन भक्तिदायक प्रभु सकल सामर्थ्य गुन गनन भारी ll 2 ll

जयति सकल तीरथ फलित नाम स्मरण मात्र वास व्रज नित्य गोकुल बिहारी l

‘नंददास’नी नाथ पिता गिरिधर आदि प्रकट अवतार गिरिराजधारी ll 3 ll


साज – श्रीजी में आज रुपहरी ज़री की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद मलमल की बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को रुपहरी ज़री का सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र भी रुपहरी ज़री के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

एक दुलड़ा व एक सतलड़ा हार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर रुपहरी ज़री की गोलपाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, रुपहली ज़री का दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में हीरे के कर्णफूल धराये जाते हैं.

आज पूरे दिन श्वेत पुष्पों की मालाजी ही धरायी जाती है.

श्वेत पुष्पों की सुन्दर थागवाली सुन्दर मालाजी धरायी जाती है. मोती की एक अन्य माला हमेल की भांति भी धरायी जाती है. पीठिका के ऊपर चांदी का चौखटा धराया जाता है. श्रीहस्त में चांदी के रत्नजड़ित वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.


पट रूपहरी ज़री का व गोटी चाँदी की आती है.

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