व्रज – पौष कृष्ण तृतीया
Wednesday, 18 December 2024
गुलाबी साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चंद्रिका के शृंगार
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : आसावरी)
आज शृंगार निरख श्यामा को नीको बन्यो श्याम मन भावत ।
यह छबि तनहि लखायो चाहत कर गहि के मुखचंद्र दिखावत ।।१।।
मुख जोरें प्रतिबिम्ब विराजत निरख निरख मन में मुस्कावत ।
चतुर्भुज प्रभु गिरिधर श्री राधा अरस परस दोऊ रीझि रिझावत ।।२।।
साज – श्रीजी में आज गुलाबी रंग की साटन (Satin) की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज गुलाबी साटन पर रूपहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र हरे दरियाई के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
सफ़ेद पुष्पों की चार सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट गुलाबी व गोटी चाँदी की आती है.
संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
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