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व्रज – पौष कृष्ण द्वादशी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – पौष कृष्ण द्वादशी

Friday, 27 December 2024


शीतकाल की तृतीय चौकी


आज के वस्त्र श्रृंगार निश्चित हैं. आज प्रभु को हरे खीनखाब के चाकदार वस्त्र एवं श्रीमस्तक पर रुपहली ज़री की पाग पर साज सहित टिपारा धराया जाता है.


आज से विशेष रूप से ललित राग के कीर्तन भी प्रारंभ हो जाते हैं.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


नंद बधाई दीजे ग्वालन l

तुम्हारे श्याम मनोहर आये गोकुल के प्रति पालन ll 1 ll

युवतिन बहु विधि भूषन दीजे विप्रन को गौदान l

गोकुल मंगल महा महोच्छव कमल नैन घनश्याम ll 2 ll

नाचत देव विमल गंधर्व मुनि गावत गीत रसाल l

‘परमानंद’ प्रभु तुम चिरजीयो नंदगोपके लाल ll 3 ll


साज – आज श्रीजी में हरे रंग की किनखाब की पिछवाई धरायी जाती है जो कि सुनहरी ज़री के केरी भांत के भरतकाम एवं रुपहली ज़री की तुईलैस के हांशिया से सुसज्जित है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं प्रभु के स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को हरे रंग की खीनखाब का सूथन, चोली, चाकदार वागा एवं (मोजाजी जड़ाऊ) धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – श्रीजी को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हीरा मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं. कली, कस्तूरी आदि सभी माला धरायी जाती हैं. हीरा की बघ्घी धरायी जाती है और हांस, त्रवल नहीं धराये जाते.

श्रीमस्तक पर टिपारा का साज (हीरा पन्ना, माणक के टिपारा के ऊपर सिरपैंच, मोरशिखा, दोनों ओर मोरपंख के दोहरा कतरा सुनहरे फोन्दना के) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं. सफेद एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में विट्ठलेशरायजी वाले वेणुजी एवं वेत्रजी व एक सोने के धराये जाते हैं.

पट उत्सव का गोटी सोना की बाघ बकरी की धरायी जाती हैं.

आरसी शृंगार में पिले खंड की एवं राजभोग में सोने की दांडी की दिखाई जाती हैं.



संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर हल्के आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक टीपारा बड़ा करके लाल छज्जेदार पाग धरा कर सुनहरी लूम तुर्रा धराये जाते हैं.

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