top of page
Search

व्रज – पौष कृष्ण प्रतिपदा

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – पौष कृष्ण प्रतिपदा

Monday, 16 December 2024


नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री राजीवजी (श्री दाऊबावा) का प्राकट्योत्सव


श्रीजी को नियम के लाल साटन के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर किरीट मुकुट धराया जाता है.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


पौष निर्दोष सुख कोस सुंदरमास कृष्णनौमी सुभग नव धरी दिन आज l

श्रीवल्लभ सदन प्रकट गिरिवरधरन चारू बिधु बदन छबि श्रीविट्ठलराज ll 1 ll

भीर मागध भई पढ़त मुनिजन वेद ग्वाल गावत नवल बसन भूषणसाज l

हरद केसर दहीं कीचको पार नहीं मानो सरिता वही निर्झर बाज ll 2 ll

घोष आनंद त्रियवृंद मंगल गावें बजत निर्दोष रसपुंज कल मृदुगाज l

‘विष्णुदास’ श्रीहरि प्रकट द्विजरूप धर निगम पथ दृढथाप भक्त पोषण काज ll 3 ll


श्रृंगार दर्शन –


साज – आज श्रीजी में केसरी रंग की साटन की सुनहरी ज़री के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. पिछवाई में एक ओर आरती करते श्री गोविन्दलालजी महाराजश्री एवं दूसरी ओर हाथ जोड़ कर प्रभु के दर्शन करते श्री दाऊबावा का कलाबत्तू का चित्रांकन किया हुआ है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज लाल रंग की साटन का रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली, चाकदार वागा व लाल मलमल का पटका धराये जाते हैं. टंकमा हीरा के मोजाजी व ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं जिसके चारों ओर पुष्प-लताओं का चित्रांकन किया हुआ है. इस प्रकार के ठाड़े वस्त्र वर्षभर में केवल आज के दिन ही धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है. हीरा के सर्व आभरण धराये जाते हैं. सब हार के श्रृंगार धराये जाते हैं. तीन हार पाटन वाले धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर छिलमां हीरा का किरीट एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं. बायीं ओर हीरा की चोटी (शिखा) धरायी जाती है. पीठिका के ऊपर स्वर्ण का चौखटा धराया जाता है.

कली, कस्तूरी व नीलकमल की माला धरायी जाती है. श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है. श्रीहस्त में हीरा के वेणुजी तथा दो वेत्रजी (हीरा व स्वर्ण के) धराये जाते हैं.

पट गोटी उत्सव की आती हैं.

आरसी शृंगार में लाल मख़मल की और राजभोग में सोना की डांडी की दीखाई जाती हैं.


श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में केशर-युक्त चंद्रकला, दूधघर में सिद्ध केसर-युक्त बासोंदी की हांडी व शाकघर में सिद्ध चार विविध प्रकार के फलों के मीठा अरोगाये जाते हैं.



राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता और सखड़ी में छःभात (मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात, वड़ी-भात और नारंगी भात) आरोगाये जाते हैं.

0 views0 comments

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page