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व्रज – पौष शुक्ल षष्ठी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – पौष शुक्ल षष्ठी

Sunday, 05 January 2025


नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री दामोदरलालजी महाराज का उत्सव


श्रीजी को नियम के पीले रंग के साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर हीरे की टिपारा की टोपी के ऊपर टिपारा का साज धराया जाता है.


श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से मनमनोहर (केशर बूंदी) के लड्डू, दूधघर में सिद्ध की गयी केसरयुक्त बासोंदी की हांडी और चार विविध प्रकार के फलों के मीठा अरोगाये जाते हैं.


राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता एवं सखड़ी में मीठी सेव, केसरयुक्त पेठा व छह-भात (मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात, वड़ी-भात व नारंगी भात) अरोगाये जाते हैं.


राजभोग दर्शन में प्रभु सम्मुख छह बीड़ा सिकोरी (सोने का जालीदार पात्र) में रखे जाते हैं. मुखियाजी प्रभु को एक कलदार रुपया न्यौछावर कर कीर्तनिया को देते हैं.


आज श्री नवनीतप्रियाजी में पलना के मनोरथी स्वयं श्रीजी के तिलकायत होते हैं. सामान्य दिनों में श्री नवनीतप्रियाजी को पलना की सामग्री के रूप में बूंदी के लड्डू अरोगाये जाते हैं परन्तु आज श्री लाड़लेलाल प्रभु को पलना में तवापूड़ी अरोगायी जाती है.


राजभोग दर्शन –


साज – आज श्रीजी में केसरी रंग की साटन (Satin) की पिछवाई धरायी जाती है जिसके सलमा-सितारा के चित्रांकन में पलने में झूलते श्री गोवर्धननाथजी को एक ओर नन्दराय-यशोदा जी खिलौनों से खिला रहें हैं एवं दायीं ओर श्री गोवर्धनलालजी महाराज एवं श्री दामोदरलालजी प्रभु को पलना झुला रहे हैं. पलने के ऊपर मोती का तोरण शोभित है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को पीला रंग की साटन का, रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र पतंगी रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को मध्य का (घुटनों तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है. हीरा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर हीरे के जड़ाव की टोपी के ऊपर तीन तुर्री, बाबरी, अलख (घुंघराले केश की लटें) मध्य में हीरे के जड़ाव की मोरशिखा, दोनों ओर दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. हीरा की चोटी धरायी जाती है.

श्रीकर्ण में जड़ाव मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं. पीठिका के ऊपर हीरे के जड़ाव का चौखटा धराया जाता है. हास, त्रवल सब धराये जाते हैं. एक माला कली की व एक कमल माला धरायी जाती है.


गुलाबी एवं पीले रंग की सुन्दर थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में हीरा के वेणुजी एवं हीरा-जड़ित दो वेत्रजी धराये जाते हैं.



पट पीला, गोटी श्याम मीना की व आरसी लाल मखमल की आती है.

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