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व्रज – पौष शुक्ल सप्तमी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – पौष शुक्ल सप्तमी

Monday, 06 January 2025


तै जु नीलपट दियौरी ।

सुनहु राधिका श्यामसुंदरसो बिनहि काज अति रोष कियौरी ।।१।।

जलसुत बिंब मनहु जब राजत मनहु शरद ससि राहु लियो री ।

भूमि घिसन किधौं कनकखंभ चढि मिलि रसही रस अमृत पियौंरी ।।२।।

तुम अति चतुर सुजान राधिका कित राख्यौ भरि मान हियौरी ।

सूरदास प्रभु अंगअंग नागरि, मनहुं काम कियौ रूप बिचौरी ।।३।।

फिरोज़ी घटा (सप्तम)


आज श्रीजी में फिरोज़ी घटा के दर्शन होंगे. इसका क्रम ऐच्छिक है और खाली दिन होने के कारण आज धरायी जाएगी.


आज श्रीजी में फ़िरोज़ी घटा होगी.

साज, वस्त्र आदि सभी फ़िरोज़ी रंग के होते हैं. सर्व आभरण फिरोज़ी मीना के धराये जाते हैं.


फिरोज़ी घटा श्री यमुनाजी के भाव से धरायी जाती है. जिस प्रकार समुद्र में लहरें उठती हैं तब समुद्र का जल नभ के फ़िरोज़ी रंग सा प्रतीत होता है उस भाव से आज प्रभु को फ़िरोज़ी घटा धरायी जाती है.


नंददास जी ने इस भाव का एक पद भी गाया है.

“श्याम समुद्र में प्रेम जल पूरनता तामे राधाजु लहर री,”


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : आसावरी)


कृष्णनाम जबते श्रवण सुन्योरी आली, भूलीरी भवन हों तो बावरी भईरी l

भरभर आवें नयन चितहु न परे चैन मुख हुं न आवे बेन तनकी दशा कछु ओरें भईरी ll 1 ll

जेतेक नेम धर्म व्रत कीनेरी मैं बहुविध अंग अंग भई हों तो श्रवण मईरी l

‘नंददास’ जाके श्रवण सुने यह गति माधुरी मूरति कैधो कैसी दईरी ll 2 ll


साज – श्रीजी में आज फ़िरोज़ी रंग के दरियाई वस्त्र की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर फ़िरोज़ी बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को फ़िरोज़ी रंग के दरियाई वस्त्र का सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र भी फ़िरोज़ी रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) चार माला का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. सर्व आभरण फिरोज़ी मीना के धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर फ़िरोज़ी रंग की मलमल की गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, फिरोज़ी दोहरा कतरा एवं बायीं ओर फिरोज़ी मीना के शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में फिरोज़ी मीना के कर्णफूल धराये जाते हैं.

आज चार माला धरावे.

श्वेत पुष्पों की सुन्दर रंगीन थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में फिरोज़ी मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.


पट फिरोज़ी व गोटी चांदी की आती है.

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