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व्रज – भाद्रपद कृष्ण अमावस्या (द्वितीय)

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – भाद्रपद कृष्ण अमावस्या (द्वितीय)

Tuesday, 03 September 2024


स्याम पीला लहरिया का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका के शृंगार


राजभोग दर्शन -


कीर्तन – (राग : सारंग)


यहाँ अब काहे को दान देख्यो न सुन्यो कहुं कान l

ऐसे ओट पाऊ उठि आओ मोहनजु दूध दही लीयो चाहे मेरे जान ll 1 ll

खिरक दुहाय गोरस लिए जात अपने भवन तापर ईन ऐसी ठानी आनकी आन l

‘गोविंद’ प्रभु सो कहेत व्रजसुंदरी, चलो रानी जसोदा आगे नातर सुधै देहो जान ll 2 ll


साज - श्रीजी में आज स्याम पीला लहरियाँ की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया सफेद एवं चरणचौकी पर सफ़ेद रंग की बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी में आज स्याम पीला लहरियाँ का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के होते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का श्रृंगार धराया जाता है. स्वर्ण के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर स्याम पीला लहरियाँ के ग्वालपाग (पगा) के ऊपर मोती की लूम, सुनहरी चमक (जमाव) की चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में लोलकबंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.

आज कमल माला धरावे.

श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी व कमल के पुष्प की मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, सोना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.


पट स्याम व गोटी बाघ बकरी की आती हैं.

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