top of page
Search

व्रज – माघ कृष्ण द्वादशी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – माघ कृष्ण द्वादशी

Wednesday, 07 February 2024

अंगूरी साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर दुरंगी पाग पर क़तरा के शृंगार

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को अंगूरी साटन का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर दुरंगी पाग पर क़तरा का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : आसावरी)

जाको मन लाग्यो गोपाल सों ताहि ओर कैसें भावे हो ।

लेकर मीन दूधमे राखो जल बिन सचु नहीं पावे हो ।।१।।

ज्यो सुरा रण घूमि चलत है पीर न काहू जनावे हो ।

ज्यो गूंगो गुर खाय रहत है सुख स्वाद नहि बतावे हो ।।२।।

जैसे सरिता मिली सिंधुमे ऊलट प्रवाह न आवे हो ।

तैसे सूर कमलमुख निरखत चित्त ईत ऊत न डुलावे हो ।।३।।

साज – आज श्रीजी में अंगूरी रंग की रूपहरी ज़री के भरतकाम की शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज अंगूरी रंग की साटन (Satin) का सूथन, चोली, घेरदार वागा तथा मोजाजी धराये जाते हैं. घेरदार वागा, रूपहरी किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर हरे व सफ़ेद रंग की दुरंगी पाग के ऊपर सिरपैंच, क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत एवं पीले एव सफ़ेद पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में लाल मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धरायी जाती हैं.


पट अंगूरी एवं गोटी मीना की आती है.

1 view0 comments

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page