व्रज – माघ कृष्ण द्वादशी
Sunday, 26 January 2025
लाल साटन के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव का क़तरा के शृंगार
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : तोडी)
हों बलि बलि जाऊं तिहारी हौ ललना आज कैसे हो पाँव धारे l
कौन मिस आवन बन्यो पिय जागे भाग्य हमारे ll 1 ll
अब हों कहा न्योछावर करूँ पिय मेरे सुंदर नंददुलारे l
'नंददास' प्रभु तन-मन-धन प्राण यह लेई तुम पर वारे ll 2 ll
साज – श्रीजी में आज लाल रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज लाल रंग के साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं. पटका कत्थई मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लाल रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच और जमाव का क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल की धरायी जाती हैं. श्रीकंठ में कमल माला एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है. रेशम की लूम धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी (एक स्वर्ण का) धराये जाते हैं.
पट लाल व गोटी मीना की आती है.
संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
Comments