top of page
Search

व्रज – माघ कृष्ण नवमी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – माघ कृष्ण नवमी

Sunday, 04 February 2024

अमरसी साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर बाँकी चंद्रिका के शृंगार

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को अमरसी साटन का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर बाँकी चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : आशावरी/तोड़ी)

माईरी लालन आये आयेरी मया कर तन मन धन सब वारो।

हों बलिगई सखी आजकी आवनी पर पलकसों मग झारो।।१।।

अति सुकुमार कोमल पद कारण सखीरी कंकर गुन सब तारो।

नन्ददास प्रभु नंदनंदन सों ऐसी प्रीति नित धारो।।२।।

साज – श्रीजी में आज केसरी रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज अमरसी रंग की साटन (Satin) का सूथन, चोली, घेरदार वागा तथा मोजाजी धराये जाते हैं. घेरदार वागा, रूपहरी किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) चार माल का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर अमरसी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, बाँकी चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धरायी जाती हैं.


पट अमरसी एवं गोटी चाँदी की आती है.

2 views0 comments

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page