top of page
Search

व्रज – माघ शुक्ल अष्टमी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – माघ शुक्ल अष्टमी

Saturday, 17 February 2024


श्वेत लट्ठा के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर लाल फेटा पर फेटा के साज के शृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : वसंत)


श्रीवृंदावन खेलत गुपाल, बनि बनि आई व्रजकी बाल ll 1 ll

नवसुंदरी नवतमाल, फूले नवल कमल मधि नव रसाल ll 2 ll

अपने कर सुंदर रचित माल, अवलंबित नागर नंदलाल ll 3 l

नव गोप वधू राजत हे संग, गजमोतिन सुंदर लसत मंग ll 4 ll

नवकेसर मेद अरगजा धोरि, छिरकत नागरिकों नवकिशोर ll 5 ll

तहां गोपीग्वाल सुंदर सुदेश, राजत माला विविध केस ll 6 ll

नंदनंदन को भूवविलास, सदा रहो मन 'सूरदास' ll 7 ll


साज – आज श्रीजी में सफ़ेद रंग की मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को सफ़ेद रंग का सूथन, चोली, चाकदार वागा एवं लाल रंग के मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं. कटि पटका लाल रंग का धराया जाता हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.


श्रृंगार – आज श्रीजी को फ़ागण का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. लाल मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, बीच की चंद्रिका, एक कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में लोलक बिंदी धरायी जाती हैं.

गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी सुन्दर थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक सोना के) धराये जाते हैं.

पट चीड़ का एवं गोटी हाथीदाँत की आती है.


संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर फेटा रहे लूम-तुर्रा नहीं धराये जाते हैं.


3 views0 comments

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page