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व्रज – माघ शुक्ल प्रतिपदा (अमावस्या क्षय)

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – माघ शुक्ल प्रतिपदा (अमावस्या क्षय)

Saturday, 10 February 2024

फूली फूली डोले सोने के सदन मदन मोहन रसमाती ।

रसबस कीये सुहाग बिहारन मंदमद मुसकायनी ।।१।।

बैयां जोर परस्पर दोऊ लाडिली फेर जु लड़ाती ।

हरिदास के स्वामी स्यामा कुंजबिहारी रस बरसत वो हो माती ।।२।।

एकादश (सुनहरी) घटा

विशेष – आज श्रीजी में शीतकाल की अंतिम सुनहरी घटा है.

विशेष – ‘फूली फूली डोले सोने के सदन मदन मोहन रसमाती’ उपरोक्त कीर्तन के भाव के आधार पर प्रभु स्वर्ण भवन में व्रजभक्तों के साथ विहार कर रहे हैं इस भाव से आज श्रीजी में सुनहरी ज़री की घटा के दर्शन होते हैं.

जिस रंग की घटा हो उसी रंग के कुंज की भावना होती है. इसी श्रृंखला में आज हेम कुंज की भावना से श्रीजी में सुनहरी घटा होगी. पिछवाई, वस्त्र आदि सभी सुनहरी ज़री के होते हैं वहीं गादी, तकिया, खण्डपाट आदि सभी साज केसरी साटन के आते हैं. सर्व आभरण सोनेला एवं स्वर्ण के धराये जाते हैं.

आज सभी समां में केसरी पुष्प की माला धरायी जाती है.

सभी घटाओं में राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में काफ़ी जल्दी हो जाता है.

आज से माघ शुक्ल चतुर्थी तक पाँच दिन प्रभु को ज़री के वस्त्र धराये जाते हैं.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : धनाश्री)

गोपाल को मुखारविंद जियमें विचारो l

कोटि भानु कोटि चंद्र मदन कोटि वारो ll 1 ll

कमलनैन चारू बैन मधुर हास सोहै l

बंकन अवलोकन पर जुवती सब मोहे ll 2 ll

धर्म अर्थ काम मोक्ष सब सुखके दाता l

'चत्रभुज' प्रभु गोवर्धनधर गोकुल के त्राता ll 3 ll

साज – श्रीजी में आज सुनहरी ज़री की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं खण्डपाट केसरी साटन के आते है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को सुनहरी ज़री का सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र भी सुनहरी ज़री के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है. सर्व आभरण सोनेला एवं स्वर्ण के धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर सुनहरी ज़री की गोल-पाग (चीरा) के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में सोनेला के कर्णफूल धराये जाते हैं.

आज पूरे दिन केसरी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में स्वर्ण के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.


पट सुनहरी, गोटी सोने की चिड़िया की व आरसी सोने की आती है.

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