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व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी

Saturday, 30 November 2024


पीले साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर पीली छज्जेदार पाग पर क़तरा या चंद्रिका के शृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : टोडी)


आये अलसाने लाल जोयें हम सरसाने अनत जगे हो भोर रंग राग के l

रीझे काहू त्रियासो रीझको सवाद जान्यो रसके रखैया भवर काहू बाग़ के ll 1 ll

तिहारो हु दोस नाहि दोष वा त्रिया को जाके रससो रस पागे जाग के l

‘तानसेन’ के प्रभु तुम बहु नायक आते जिन बनाय सांवरो पेच पाग के ll 2 ll


साज – श्रीजी में आज पीले रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज पीले रंग के साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र पतंगी रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर पीली छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच,क़तरा या चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं.

लाल एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट पीला व गोटी मीना की आती है.



संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.

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