top of page
Search

व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण प्रतिपदा

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण प्रतिपदा

Saturday, 16 November 2024


व्रतचर्या/गोपमास आरम्भ


मार्गशीर्ष अर्थात ‘गोपमास’ एवं पौष अर्थात ‘धनुर्मास’ अत्यधिक सर्दी वाले मास हैं, अतः देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन से बसंत पंचमी तक पुष्टि स्वरुप निज मंदिर से बाहर नहीं पधारते.

श्री नवनीतप्रियाजी आदि जो स्वरुप पलना झूलते हैं उनके पलना के दर्शन भी निज मंदिर में ही होते हैं.


आज श्रीजी को नियम के पतंगी (गहरे लाल) रंग के साटन के वस्त्र एवं मोरचन्द्रिका धरायी जाती है.

लाल रंग अनुराग का रंग है. श्री ललिताजी का स्वरुप अनुराग के रंग का है.


आज से श्रीजी सम्मुख व्रतचर्या के पद गाये जाते हैं.


गोपिकाओं के अनुराग का प्रारंभ भी आज से होने से आज लाल रंग के वस्त्र धराये जाते हैं.

गोप-कन्याएँ व्रजराज की निष्काम भक्त हैं एवं उनके प्रतीक के रूप में आज के वस्त्रों में सुनहरी पुष्प हैं.

ये व्रजभक्त बालाएं श्री स्वामिनीजी की कृपा से प्रभुसेवा में अंगीकृत हुई अतः उनके यशस्वरुप ठाड़े वस्त्र श्वेत रंग के धराये जाते हैं.

आज सारे दिन की सेवा श्री ललिताजी की है जिससे आपके स्वरुप एवं श्रृंगारवत प्रभु के श्रृंगार होते हैं.


गोपमास के आरंभ पर श्रीजी को आज विशेष रूप से गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में मनोर (इलायची-जलेबी) के लड्डू अरोगाये जाते हैं.


राजभोग की सखड़ी में मूंग की द्वादसी व खाडवे को अरोगाये जाते हैं.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : टोडी)


आये अलसाने लाल जोयें हम सरसाने अनत जगे हो भोर रंग राग के l

रीझे काहू त्रियासो रीझको सवाद जान्यो रसके रखैया भवर काहू बाग़ के ll 1 ll

तिहारो हु दोस नाहि दोष वा त्रिया को जाके रससो रस पागे जाग के l

‘तानसेन’ के प्रभु तुम बहु नायक आते जिन बनाय सांवरो पेच पाग के ll 2 ll


साज – श्रीजी में आज लाल साटन की सुनहरी ज़री के ज़रदोज़ी के जायफल की बेल वाली एवं हरे रंग के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद रंग की बिछावट की जाती है. चरणचौकी, पडघा, झारीजी, बंटाजी आदि जड़ाव स्वर्ण के धरे जाते हैं.


वस्त्र – श्रीजी को आज पतंगी (गहरे लाल) रंग की साटन का सुनहरी ज़री की बूटी के काम (Work) वाले व रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. लाल एवं सफेद रंग के मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र सफेद लट्ठा के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) चार माला का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना एवं सोने के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर पतंगी (गहरे लाल) साटन की सुनहरी ज़री की बूटी वाले चीरा के ऊपर सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. एक रंग-बिरंगे पुष्पों की एवं दूसरी पीले पुष्पों की कलात्मक मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल, गोटी छोटी सोना की व आरसी शृंगार में सोना की एवं राजभोग में बटदार आती है.

चोरसा स्याम सुतरु का आता हैं.



संध्या-आरती दर्शन उपरांत श्रीमस्तक व श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर दिए जाते हैं. त्रवल बड़े नहीं किये जाते और श्रीमस्तक पर सुनहरी लूम-तुर्रा धराये जाते हैं.

0 views0 comments

Commentaires


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page