top of page
Search

व्रज – मार्गशीर्ष शुक्ल तृतीया

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – मार्गशीर्ष शुक्ल तृतीया

Wednesday, 04 December 2024


फ़िरोज़ी साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल बाँकी चंद्रिका के शृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : आसावरी)


चलरी सखी नंदगाम जाय बसिये ।खिरक खेलत व्रजचन्दसो हसिये ।।१।।

बसे पैठन सबे सुखमाई ।

ऐक कठिन दुःख दूर कन्हाई ।।२।।

माखनचोरे दूरदूर देखु ।

जीवन जन्म सुफल करी लेखु ।।३।।

जलचर लोचन छिन छिन प्यासा ।

कठिन प्रीति परमानंद दासा ।।४।।


साज – श्रीजी में आज फ़िरोज़ी रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज फ़िरोज़ी रंग के साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.गुलाबी मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर फ़िरोज़ी गोल पाग के ऊपर सिरपैंच,गोल बाँकी चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, गुलाबी मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट फ़िरोज़ी व गोटी चाँदी की और आरसी नित्य की आती है.



संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.

0 views0 comments

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page