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व्रज – मार्गशीर्ष शुक्ल दशमी (नवमी क्षय)

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – मार्गशीर्ष शुक्ल दशमी (नवमी क्षय)

Tuesday, 10 December 2024

तृतीय घटा (लाल), प्रभुचरण श्री गुसांईजी के उत्सव की झांझ की बधाई बैठे


श्रीमद वल्लभ रूप सुरंगे l

अंग अंग प्रति भावन भूषण वृन्दावन संपति अंगे अंगे ll 1 ll

दरस परस गिरिधर जू की नाई एन मेन व्रज राज ऊछंगे l

पद्मनाभ देखे बनि आवे सुधि रही रास रसाल भ्रू भंगे ll 2 ll


प्रभुचरण श्री गुसांईजी के उत्सव की झांझ की बधाई बैठवे की बधाई


विशेष – आज प्रभुचरण श्री गुसांईजी के उत्सव की झांझ की बधाई पंद्रह दिवस की बैठती है.


आज से आगामी पंद्रह दिवस तक प्रतिदिन सभी दर्शनों में झांझ बजायी जाती है. श्री महाप्रभुजी की, जन्माष्टमी की एवं श्री गुसांईजी की बधाईयाँ गायी जातीं हैं.

आज से पौष कृष्ण नवमी तक श्री ठाकुरजी को श्याम, नीले, बादली आदि अमंगल रंगों के वस्त्र नहीं धराये जाते हैं एवं अशुभ में गये सेवक की दंडवत (सेवा में पुनः प्रवेश) भी वर्जित है.


बधाई बैठवे के भाव से आज श्रीजी में लाल घटा के दर्शन होंगे.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : आसावरी)


धन्य जशोदा भाग्य तिहारो जिन ऐसो सुत जायो l

जाके दरस परस सुख उपजत कुलको तिमिर नसायो ll 1 ll

विप्र सुजान चारन बंदीजन सबै नंदगृह आये l

नौतन सुभग हरद दूब दधि हरखित सीस बंधाये ll 2 ll

गर्ग निरुप किये सुभ लच्छन अविगत हैं अविनासी l

‘सूरदास’ प्रभुको जस सुनिकें आनंदे व्रजवासी ll 3 ll


साज – श्रीजी में आज लाल रंग के दरियाई वस्त्र की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर लाल बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को लाल रंग के दरियाई वस्त्र का सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र भी लाल रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लाल रेशम का दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में माणक के कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत एवं गुलाबी रंग के पुष्पों की सुन्दर थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में लाल मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल व गोटी चांदी की आती है.


सभी समां के कीर्तन

मंगला से श्रृंगार तक - ब्रज भयो महर के पूत राजभोग- धन्य यशोदा भाग्य तिहारो

आरती - धर्म ही ते पायो यह धन

शयन - श्रीमद् वल्लभ रूप सुरंगे


मान - लाल तोहे नेनन ही में राखो

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