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व्रज – मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज – मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी

Thursday, 12 December 2024


शीतकाल की द्वितीय चौकी


मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी से मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा तक पूर्णिमा को होने वाले घर (नियम) के छप्पनभोग उत्सव के लिए विशेष सामग्रियां सिद्ध की जाती हैं जिन्हें प्रतिदिन गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में श्रीजी को अरोगाया जाता है.

इसी श्रृंखला में श्रीजी को आज तवापूड़ी (इलायची, मावे व तुअर की दाल के मीठे मसाले से भरी पूरनपोली जैसी सामग्री जिसमें आंशिक रूप में कस्तूरी भी मिलायी जाती है) का भोग अरोगाया जाता है. यह सामग्री छप्पनभोग के दिवस भी अरोगायी जाएगी.


उत्थापन में फलफूल के साथ अरोगाये जाने वाले फीके के स्थान पर आज छप्पनभोग के लिए सिद्ध की जा रही उड़द की दाल की कचौरी अरोगायी जाती है.


राजभोग दर्शन – कीर्तन – (राग : खट)


सुनोरी आज नवल वधायो है l

श्रीवल्लभगृह प्रकट भये पुरुषोत्तम जायो है ll 1 ll

नयननको फल लेउ सखी भयो मन को भायो है l

गिरिधरलाल फेर प्रगटे है भाग्य ते पायो है ll 2 ll

मणिमाला वंदन माला द्वारद्वार बंधायो है l

श्रीगोकुल में घरघरन प्रति आनंद छायो है ll 3 ll

द्विजकुल उदित चंद सब विश्वको तिमिर नसायो है l

भक्त चकोर मगन आनंदित हियो सिरायो है ll 4 ll

महाराज श्रीवल्लभजी दान देत मन भायो है l

जो जाके मन हुती कामना सो तिन पायो है ll 5 ll

जाके भाग्य फले या कलिमें तिन दरशन पायो है l

करि करुणा श्रीगोकुल प्रगटे सुखदान दिवायो है ll 6 ll

मर्यादा पुष्टिपथ थापनको आपते आयो है l

अब आनंद वधायो हैरी दुःख दूर बहायो है ll 7 ll

रानी धन्य धन्य भाग सुहागभरी जिन गोद खिलायो है l

‘रसिक’ भाग्यते प्रकट भये आनंद दरसायो है ll 8 ll


साज – श्रीजी में आज हरे रंग की साटन (Satin) की लाल रंग के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. हांशिया के दोनों ओर रुपहली ज़री की किनारी लगी होती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज हरे रंग की साटन (Satin) का लाल गॉट वाला सूथन, चोली, घेरदार वागा तथा मोजाजी धराये जाते हैं. घेरदार वागा, लाल किनारी से सुसज्जित होते हैं. मोजाजी भी लाल फून्दों से सुसज्जित होते हैं. लाल दरियाई वस्त्र के बन्ध धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र सफेद रंग के लट्ठा के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) चार माल का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोलपाग के ऊपर सिरपैंच, दोहरा मोर कतरा सुनहरी दोहरी फोदना को एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.

आज त्रवल की जगह कंठी धराई जाती हैं.श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में सुआ के वेणुजी एवं वेत्रजी धरायी जाती हैं.


पट हरा एवं गोटी सोना की आती है.

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