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व्रज - श्रावण कृष्ण तृतीया

Writer's picture: Reshma ChinaiReshma Chinai

व्रज - श्रावण कृष्ण तृतीया

Wednesday, 24 July 2024


देखो माई शोभा श्यामल तनकी।

मानों लई रसिक नंदनंदन सब गति नौतन धनकी।।१।।

निरख सखी नीलांबर को छोर।

झूम रह्ये सखी वदन चंदपें आई घटा घनघोर।।२।।


नील कुल्हे का श्रृंगार


विशेष – आज श्रीजी को नियम का श्रृंगार धराया जाता है. वर्षभर में केवल आज ही श्रीजी को नील कुल्हे (गहरे आसमानी रंग की कुल्हे) धरायी जाती है और कुल्हे के ऊपर सुनहरी चमक का घेरा धराया जाता है.


आज का उत्सव श्री यमुनाजी की ओर से होता है. श्री यमुनाजी और श्री गिरिराजजी के भाव से आज गहरे आसमानी रंग के वस्त्र एवं कुल्हे धरायी जाती है.


राजभोग दर्शन -


कीर्तन – (राग : मल्हार)


तेसीय हरित भूमि तेसीय बूढ़न शोभा तेसोई इन्द्र को धनुष मेहसों l

तेसीय घुमड़ घटा वरषत बूंदन तेसेई नाचत मोर नेह सों ll 1 ll

वृन्दावन सघन कुंज गिरीगहवर विरहत श्याम श्यामा सोहें दामिनी सं देहसों l

‘छीतस्वामी’ गुननिधान गोवर्धनधारी लाल मध्य तहां गान करत लाल तान गेहसों ll 2 ll


साज – श्रीजी में आज गहरे आसमानी (शोशनी) रंग की मलमल की सुनहरी लप्पा (ज़री की तुईलैस की किनारी) से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज गहरे आसमानी (शोशनी) मलमल का सुनहरी लप्पा (ज़री की तुईलैस की किनारी) से सुसज्जित पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के होते हैं.


श्रृंगार - श्रीजी को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. हीरे के सर्व आभरण धराये जाते हैं. कस्तूरी, कली आदि सभी माला धरायी जाती हैं.

श्रीमस्तक पर नील कुल्हे के ऊपर सुनहरी चमक का घेरा एवं बायीं ओर हीरा का शीशफूल, दो हीरा की तुर्री धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

स्वरुप की बायीं ओर मीना की शिखा (चोटीजी) धरायी जाती हैं.

तुलसी व पीले पुष्पों की सुन्दर कलात्मक दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, सोने के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक भाभीजी वाले व एक सोने के) धराये जाते हैं.


पट आसमानी व गोटी राग-रंग की आती है.

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