श्रीकृष्ण की पटरानी कालिंदी जी और यमुना जी
एक जिज्ञासा हुई है कि श्रीकृष्ण की पटरानी कालिंदी जी जो कि सूर्य पुत्री जिसने तप करके श्रीकृष्ण को पति रूप में पाया और यमुना जी जो चतुर्थ प्रिया वो भी सूर्य पुत्री । कहीं कहीं यमुना जी को कालिंदी के नाम से भी जाना । तो दोनो में कुछ भेद है क्या। ?
श्रीयमुनाजीनु स्वरूप: भगवान ना सर्वांगो ना श्रम रसथी समन्वित श्रीयमुनाजी द्रवीभूत रसात्मीका छे ए ज एमनु मूल स्वरूप अर्थात धर्मी स्वरूप छे.
श्रीयमुनाजी प्रथम शुद्ध सत्वमय नारायण ना ह्र्दयमाथी मात्र पोताना धर्म स्वरूप मा प्रगट थया.त्यार पछी सूर्यमंडल माथी पोताना मूल स्वरूप मा प्रगट थया ते द्रवीभूत रसात्मा स्वरूपमा अने भूतल पर पधारिने तेओ पुष्टिलीलाना सर्वेश्वरी बन्या ,श्रीकृष्ण पण प्रथम केवळ धर्मस्वरूपमाथी वसुदेवने त्या प्रकट थया पछी त्याथी नंदबाबा ने घरे पोताना धर्मी स्वरूपमाथी घनीभूत रसात्माना स्वरूपथी पधारीने पुष्टिलीला माटे पोतानी सर्वांगसम्बन्धिनी श्रीयमनाजी ने आवी ने मल्या.
भगवान नी आठ पटराणीओ मा लग्न क्रम अनुसार कालिंदी चौथा राणी छे. श्रीयमुनाजी आ कालिंदीथी भिन्न छे. कालिंदी समाख्याता वसामि यमुना जले आम कालिंदीनो वास श्रीयमुनाजीना जल मा छे. ए कथन द्वारा कालिंदी अने श्रीयमुनाजी नी भिन्नतानो निर्देश करवामा आव्यो छे
चतुर्थ भार्या रूप कालिंदी ओर चतुर्थ प्रियारूप श्रीयमुनाजी दोनो ही सूर्यकी कन्याए है। लेकिन श्रीयमुनाजी साक्षात सूर्यकी तथा कालिंदी कलिंद भावापन्न सूर्यकी. इसलिए लोकमे दोनों को एक ही मानी जाती है ।
कलिं दोषं द्यति खंडयति इस व्युत्पत्ति से प्रभुके सम्बन्धमे प्रतिबंध रूप दोषो की निवारिका होनेके कारण भी कालिंदी यह नाम श्रीयमुनाजी का हो शकता है।
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